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वर्तमान दौर में पैसे की कमी इनसान की कमजोरी का कारण बन जाता है, ऐसे में तकरीबन हर कोई आज के दौर में अधिक से अधिक धन व वैभव की लालसा रखता है। लेकिन कई बार तमाम कोशिशों के बावजूद व्यक्ति के पास धन नहीं टिकता, रूकता या वह नहीं कमा पाता जितना वो चाहता है। ऐसे में सनातन हिन्दू धर्म में देवी मां लक्ष्मी का धन की देवी के रूप में पूजन किया जाता है। वहीं सप्ताह में इनका मुख्य दिन शुक्रवार का माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर जिस घर से मां अधिक प्रसन्न होती हैं, वहां वास करने के साथ ही वहां के लोगों को वे कभी भी धन की कमी नहीं होती।
मान्यता के अनुसार देवी मां लक्ष्मी का पूजन करने से धन से जुड़ी तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के आधार पर, मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की भी पूजा करनी चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह में शुक्रवार का दिन लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष शुभ माना जाता है। जानकारों के अनुसार ये जरूरी नहीं है कि आप लक्ष्मी पूजा दीपावली के दिन ही करें। आप किसी भी शुभ दिन या शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं। मान्यताओं व ज्योतिषचार्यों के आधार पर Laxmi Pujan, अगर विधि अनुसार किया जाए, तो इस पूजन का फल तुरंत मिल जाता है।
वहीं कई बार लोगों को माता लक्ष्मी के पूजन की विधि क्या होती है और मां को किस तरह से प्रसन्न किया जा सकता है, इसकी जानकारी नहीं होती है। इस संबंध में जानकरों के अनुसार दरअसल माता लक्ष्मी के पूजन Laxmi Pujan की विधि को कई चरणों में किया जाता है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार लक्ष्मी पूजन (Laxmi Puja) करते समय एक निश्चित विधि का पालन कर आप भी माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते है। लक्ष्मी पूजन (Laxmi Pujan) की यह विधि बेहद ही सरल है और आप इसे आसानी से घर में कर सकते हैं। आइये जानते हैं, कि धन की देवी (Laxmi) की पूजा किस तरह से करना चाहिए और क्या हैं वो 33 चीजें जिनका पूजा में उपयोग करें।
लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja) में उपयोग में आने वाली 33 चीजें
मां लक्ष्मी की पूजा (Laxmi Puja) में कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन पूजन सामग्री का इस्तेमाल करें।
मां लक्ष्मी की पूजा की विधि
लक्ष्मी पूजन (laxmi Pujan) की विधि को षोडशोपचार पूजा के नाम से भी जाना जाता है और इस पूजा विधि को 16 चरणों में किया जाता है। दीपावली के दौरान भी इसी तरह की पूजा विधि का उपयोग किया जाता है।
ये है लक्ष्मी पूजन की विधि:-
पूजन शुरू करने से पहले चौकी को धोकर उस पर रंगोली बनाएं और चौकी के चारों तरफ चार दीपक जलाएं। जिस जगह पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने जा रहे हैं, वहां पर थोड़ा सा चावल जरूर रखें। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके बायीं ओर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें।
आसन लगाकर उनके सामने बैठ जाएं और खुद को व आसन को इस मंत्र से शुद्ध करें-
ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥
इस मंत्र से खुद पर और आसन पर 3-3 बार कुशा व पुष्पादि से छीटें लगाएं।
पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर पूजन के लिए संकल्प लें। सबसे पहले गजानंद की पूजा करें और इसके बाद स्थापित सभी देवी-देवताओं का पूजन करें। कलश की स्थापना करें और मां लक्ष्मी (Laxmi Devi) का ध्यान करें। मां लक्ष्मी (Lakshmi) को इस दिन लाल वस्त्र जरूर पहनाएं।
विधिवत लक्ष्मी पूजन विधि...
ध्यान (Dhyana): Laxmi Pujan की विधि के पहले चरण के तहत ध्यान (Dhyana) लगाया जाता है और मां को याद किया जाता है। ध्यान लगाने से पहले आप अपने सामने लक्ष्मी मां की मूर्ति रख लें और मां का ध्यान करें।
मां लक्ष्मी का आह्वान:
मां लक्ष्मी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वान किया जाता है। आवाहन करते समय हम मां को आने का निमंत्रण देते हैं। मां लक्ष्मी का आवाहन करते समय उनकी मूर्ति पर फूल अर्पित करें और इस मंत्र को बोलें:-
आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी !
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !
।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि ।।
पुष्पाञ्जलि आसन :
मां का आवाहन करने के बाद आप पांच तरह के फूल मां की मूर्ति के सामने रखें और साथ ही इस मंत्र का जाप करते हुए एक-एक फूल को छोड़े।
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम् ।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि ।।
मां लक्ष्मी का स्वागत: welcome of goddess lakshmi
मां का आह्वान और उनको फूल चढ़ाने के बाद मां का स्वागत किया जाता है और मां का स्वागत करते हुए ‘श्रीलक्ष्मी देवी! स्वागतम् मंत्र का उच्चारण किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि हम मां का सच्चे मन से स्वागत करते हैं।
पाद्य:
लक्ष्मी पूजन की विधि के अगले चरण को पाद्य कहा जाता है। इस चरण में मां के पैरों को जल से धोया जाता है और मां के पैर धोते हुए नीचे बताए गए मंत्र को बोला जाता है। ये मंत्र इस प्रकार है।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी ! नमोsस्तुते ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम:।।नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि !
मां लक्ष्मी को अर्घ्य:
मां लक्ष्मी (Laxmi Puja) के पैरों को जल से साफ करने के बाद मां को अर्घ्य दी जाती है और अर्घ्य देते समय इस मंत्र को पढ़ा जाता है
नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि !
नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण ।
गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम् ।
गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले !
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घ्यं स्वाहा ।।
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